तीन तरह के ऋण जो हमें इस धरती पर चुकाने हैं ..................
1. देव ऋण
2. पितर ऋण
3. गुरु ऋण
देव ऋण के लिए होम यग्न आवश्यक है
पितर ऋण के लिए व्यवर्हिक जीवन और संतान आवश्यक है
गुरु ऋण के लिए पोती पुराण पड़ना आवश्यक है
हर शब्द में परमेशवर समाया है
1. देव ऋण
2. पितर ऋण
3. गुरु ऋण
देव ऋण के लिए होम यग्न आवश्यक है
पितर ऋण के लिए व्यवर्हिक जीवन और संतान आवश्यक है
गुरु ऋण के लिए पोती पुराण पड़ना आवश्यक है
हर शब्द में परमेशवर समाया है
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